न जाने क्यों तेरा मिलकर बिछड़ना याद आता है,
मैं रो पड़ता हूँ जब गुज़रा जमाना याद आता है,
नहीं भुला हूँ मैं अब तक तुझे ओ भूलनेवाले,
बता तुझको भी क्या मेरा फसाना याद आता है..!!
चलो आज शायरी की हवा बहाते हैं,
तुम उठा लाओ मीर ग़ालिब की नज़्में,
और हम अपनी दास्ताँ सुनाते हैं..!!
जब से जुदा हुये है उनसे हम,
दिल ने हमारा धड़कना छोड़ दिया,
दीवाने कुछ ऐसे थे उनके प्यार में की,
उनके जाने के बाद होटों ने मुस्कुराना छोड़ दिया..!!
चुप रहते हैं कि कोई खता ना हो जाए
हमसे कोई रुसवा ना हो जाए
बड़ी मुश्किल से कोई अपना बना है
मिलने से पहले ही कोई जुदा ना हो जाए..!!
हमारी तारीफ करे या हमे बदनाम करे,
जिसको भी जो करना है सरेआम करे,
उम्र छोटी है तो क्या ज़िंदगी का हरेक मंज़र देखा,
फरेबी मुस्कुराहटें देखी हैं बगल में खंजर देखा...!!
वीरानों में ढूंढता रहा मैँ खुशियां,
महफ़िलों में मिली थी मुझको जैसे उदासियां,
मिलती अगर रेगिस्तान में जल की धारा,
साहिल नहीं तलाशता सागर अपने ही किनारों में..!!