इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए,
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए..
अगर हम आज भी आपके नहीं हैं,
तो फिर ये हिचकियाँ क्यूँ आपकी याद दिलाती है!!
मत पूछो कि मैं अल्फाज कहाँ से लाता हूँ....
ये उसकी यादों का खजाना है बस लुटाये जा रहा हूँ।।
"ये तन्हा रात और प्यासी हिचकियाँ,
कुछ तो बयाँ करना चाहती है!!
अगर 27 जनवरी को झंडे सम्भाल के रखने की हैसियत ना हो तो,
26 जनवरी को झंडे खरीद के अपनी #मौसमी_देशभक्ति का प्रदर्शन ना करें !!
सुनो.......
लोग आज भी पूछते हैं हमसफ़र के बारे में!
"आपका नाम ले लूँ!!"
"उड़ गए वो परिंदे ये कहकर...........
बेगानों के शहर में घोंसले नहीं बनाया करते!!