ए दोस्‍त तेरी दोस्‍ती पे

ए दोस्‍त तेरी दोस्‍ती पे...

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ए दोस्‍त तेरी दोस्‍ती पे नाज करते है,
हर वक़्त मिलने की फरियाद करते है,
हमें नहीं पता घरवाले बताते है,
के हम नींद में भी आपकी बात करते है।

More from Rahul Dev

जाने अनजाने कुछ फ़साने हक़ीकत होते जाते है

जाने अनजाने कुछ फ़साने हक़ीकत होते जाते है,
कुछ प्यार मे बदलते जाते हैं!!
कुछ यार मे बदलते जाते हैं!!

जिसे निभा न सकूँ ऐसा वादा नही करता

जिसे निभा न सकूँ, ऐसा वादा नही करता
मैं बातें अपनी औकात से, ज्यादा नहीं करता..!
भले ही तमन्ना रखता हूं, आसमान छू लेने की
लेकिन, औरों को गिराने का, इरादा नहीं करता।

अब के बारिश में कुछ ऐसा करना

अब के बारिश में कुछ ऐसा करना,
अपनी हथेली पे क़तरों को जमा करना,
जो जमा हो जाएँ वो सब तेरी चाहत,
और जो रह जाएँ वो सब मेरी चाहत..

तकदीर के खेल से नाराज नहीं होते।
जिंदगी में कभी उदास नहीं होते।
हाथों किं लक़ीरों पे यक़ीन मत करना।
तकदीर तो उनकी भी होती हैं ,
जिन के हाथ ही नहीं होते।

न रास्ता सुझाई देता है

न रास्ता सुझाई देता है,
न मंजिल दिखाई देती है,
न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं,
न धड़कन सुनाई देती है,
एक अजीब सी कैफियत
ने आन घेरा है मुझे,
की हर सूरत में,
तेरी सूरत दिखाई देती है...

ना मुस्कुराने को जी चाहता है

ना मुस्कुराने को जी चाहता है.
ना आँसू बहाने को जी चाहता है.
आपकी याद मे क्या लिखे
बस आपके पास ही आने को जी चाहता है.