कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे ज़िक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था.
चलो आज शायरी की हवा बहाते हैं,
तुम उठा लाओ मीर ग़ालिब की नज़्में,
और हम अपनी दास्ताँ सुनाते हैं..!!
एक सवाल पूछता हूँ में जिंदगी से,
मैने सच मे मोहब्बत की थी या टूटा हुआ सपना था मेरा
यारो शायरी क्या होती है,
वो तो दिल से निकली एक आवाज़ होती है,
किसी के प्यार का इज़हार होती है,
और किसी के दर्द की दवा होती है
एक बार कर के ऐतबार लिख दो,
कितना है मुझ से प्यार लिख दो,
कटती नहीं ये ज़िन्दगी अब तेरे बिन,
कितना और करूँ इन्तज़ार लिख दो..!!
प्यार में अंजाम की फिकर किसे होती है,
जो भी हो वो दिलो की तकदीर होती है
जुदाई सहने की आदत नही है,
बिन तेरे रहने की चाहत नही है,
चाहत है तो सिर्फ़ तेरे साथ जीने की
बिन तेरे जीने की हमारी कोई ख्वाहिश नही है…