कसूर तो था ही इन निगाहों का,
जो चुपके से दीदार कर बैठा,
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी,
पर बेवफा ये ज़ुबान इज़हार कर बैठा..!!
चुप ना होगी हवा भी, कुछ कहेगी घटा भी,
और मुमकिन है तेरा, जिक्र कर दे खुद़ा भी,
फिर तो पत्थर ही शायद ज़ब्त से काम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे।
जीत किसके लिए हार किसके लिए,
ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए,
जो भी आया है वो जायेगा एक दिन,
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए..!!
एक दिन जब मेरी साँस थम जाएगी
मत सोचना चाहत कम हो जाएगी
फ़र्क सिर्फ़ इतना होगा
आज हम आपको याद करते हैं
कल मेरी याद आपको रुलाएगी!
याद में तेरी आँहें भरता है कोई,
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मौत तो सचाई है आनी ही है,
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई..!!
एक साल और गुजर गया इस इंतज़ार मे…
वो निभाएगा अपना वादा किया था जो प्यार मे…
मजबूरियों के नाम पे दामन बचा गये वो…
जिसने प्यार मे किए थे वादे वफ़ा के नाम पे!!
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी ये दिल भी आवारा था
कहाँ आ गये हम इस समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था..