दर्द कितने हैं बता नहीं सकता,
जख्म कितने है दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो
आँसु गिरे है कितने गिना नहीं सकता...
न मेरी कोई मंजिल है न कोई किनारा
तन्हाई मेरी महफिल है और यादें मेरा सहारा
तुम से बिछड़ के कुछ यूं वक्त गुजरा कभी
जिंदगी को तरसे कभी मौत को पुकारा..
दर्द कितने हैं बता नहीं सकता,
जख्म कितने है दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो
आँसु गिरे है कितने गिना नहीं सकता...
तुझे गुस्सा दिलाना एक साजिश है मेरी,
तेरा रूठ कर मुझपर यूॅ हक जताना अच्छा लगता हैं..!!
कभी उदास बेठी हो तो बताना,
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए..
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग..!!
सजा देनी हमे भी आती है ओ बेखबर,
पर तू तकलीफ से गुज़रे ये हमे मंजूर नही..!!