यह तो आप पढ़ते हो इसलिए इनमें जज़्बात आ जाते है..
वरना हमारी शायरी में वो बात कहा जो आपका तारुफ़ कर सके..!
हमें पता है बेवफा नहीं हो तुम मगर वफाएं निभाना भी नहीं आया तुम्हें
हां, इश्क करते हो तुम मगर जताना नहीं आया तुम्हें !
यह तो आप पढ़ते हो इसलिए इनमें जज़्बात आ जाते है..
वरना हमारी शायरी में वो बात कहा जो आपका तारुफ़ कर सके..!
जब पता है कि बेवफा नहीं है हम
तो यूं बेख्याली में इल्जाम क्यों लगाना
माना इश्क जताना नहीं आया हमें
तो इसे समझना भी नहीं आया तुम्हें !