हो सके तो इतना करदो...
तु अपने से लगते हो...ये वहम लिखदो....
या फिर बिते लम्होकी निशाणी लिखदो..
या हो सके तो मुझे गैर लिखदो..
वो शाम का दायरा मिटने नहीं देते ,
हमसे सुबहे का इंतज़ार होता नहीं है ।
मेरे हांथों में जाम के प्याले है
मेरी ज़िन्दगी तेरे हवाले है
न रौंद तू इस तरह मेरी चाहत को ज़ालिम
मेरे दिल में तेरी मोहोब्बत के छाले है..!!
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर,
हम उसे अपनी खता कहते हैं,
वो तो साँसों में बसी है मेरे,
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं।
तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं,
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं,
तू एक नज़र हम को देख ले बस,
इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं..
इश्क क्या चीज होती है यह पूछिये परवाने से,
जिंदगी जिसको मयस्सर हुई मर जाने के बाद।
बेबसी ही इश्क़ का दस्तूर है,
चाहने वाला यहाँ मजबूर है,
उस के हाथों गर शिकस्त-ए-दिल मिले
हम को ऐसी हार भी मंज़ूर है..!!